न्यायालय के बारे में
वर्ष १९०४ से मध्य प्रांत में जिला न्यायाधीश के पद के साथ नर्मदापुरम एक नागरिक जिला था और बाद में, नेरबुड्डा सिविल डिवीजन का मुख्यालय था। इस दौरान इसमें उप-न्यायाधीश, अतिरिक्त उप-न्यायाधीश और मुंसिफ की अदालतें भी थीं। छोटे-मोटे मामलों पर न्यायिक शक्तियों वाला एक तहसीलदार सोहागपुर, हरदा और सिवनी (सिवनी मालवा) की तहसीलों में भी काम करता था। १९३१ में मुख्यालय के रूप में इसका अधिकार क्षेत्र हरदा, बैतूल और नरसिंहपुर पर भी था। जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत के अलावा, इसमें प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अधीनस्थ न्यायाधीश की अदालतें भी थीं। सोहागपुर में द्वितीय श्रेणी के अधीनस्थ न्यायाधीश का न्यायालय भी था। प्रथम श्रेणी के अधीनस्थ न्यायाधीशों को बाद में जिला अदालतों के अतिरिक्त न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त किया गया
स्वतंत्रता के बाद, नर्मदापुरम (पुराना नाम होशंगाबाद) एक नागरिक जिला मुख्यालय बना रहा। १९५९ में सिविल जिलों के पुनर्गठन पर, नर्मदापुरम में बैठे जिला और सत्र न्यायाधीश को बैतूल और नरसिंहपुर के जिला और सत्र न्यायाधीश पर अतिरिक्त अधिकार क्षेत्र था। सिविल जजों की अदालत का सोहागपुर, हरदा, गाडरवारा और मुलताई पर भी नियंत्रण था। तब से, नरसिंहपुर, बैतूल और हरदा के अलग-अलग नागरिक जिले अस्तित्व में आए हैं। स्वतंत्रता के बाद इटारसी, पिपरिया और[...]
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- जिला स्तारीय समितियों के गठन के संबंध में 2024
- कार्यालय आदेश 316- 26 अप्रैल 2024 को लोकसभा चुनाव हेतु अवकाश घोषणा के संबंध में
- रंग पंचमी अवकाश
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